Me ruth jau to mana lena kuch mat kahna seene se laga lena
जब सारा जहां खिलाफ हो मेरे...
तो बस तू मुझे "अपना" लेना....!!!
बस एक खुद से दूर मत करना,
मेरी "गुस्ताखियों" की चाहे जो सज़ा देना...!!!
कीमती तोहफ़ों से फर्क नहीं पड़ता मुझे,
सौ जन्नतों के बराबर है तेरा "मुस्कुरा" देना...!!!!
जब "ठोकरों" की धूप में थक -हार जाऊं तो ,
अपनी जुल्फों के "साये" में मुझे पनाह देना...!!!
तेरी कुरबत-ए-वफ़ा में बरसों इंतज़ार मंज़ूर है मुझे,
मगर जान ले लेगा मेरी तेरा मुझको "दगा" देना...!!!
जन्नत-ए-सुकून देगा मेरे आखिरी वक्त में, तेरा मुझको अपनी "बाहों" में सुला लेना...!!!!
Written by:- @ksh
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poetry