Suno ek kaam kardo khud ko mere naam kardo
ना आ सके दरमियाँ हमारे "बंदिशे" मज़हब की...
हाल-ए-दिल बयान यूँ "सरेआम" कर दो...!!!
तुझे मेरे सिवा ना कोई और कर सके "हांसिल"...
अपनी "कुरबत" का तुम इतना ऊंचा "दाम" कर दो...!!
लोग तस्सवुर तेरा, तो "दीदार" मेरा करें ...
खुद को तुम मेरा आखिरी "मुकाम" कर दो...!!
सुनो...!! एक काम कर दो....खुद को मेरे "नाम" कर दो...!!!!
Written by:-@ksh
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poetry